Sujaak ya Mutrakrichchh Nivaran Upay | सुजाक या मूत्रकृच्छ निवारण उपाय | Tips to Cure Gonorrhea Strangury

मूत्रकृच्छ ( Gonorrhea )
मूत्रकृच्छ से अभिप्राय मूत्र मार्ग में रुकावट से है, दरअसल होता ये है कि मूत्राशय में हुई पथरी मूत्र नली में आकर अटक या फंस जाती है, जिससे मूत्र त्याग में दर्द और पीड़ा का अनुभव होता है. कई बार गुर्दे के रोग के कारण भी मूत्राशय में रूकावट आ जाती है और पेशाब करने में जलन होने लगती है. सुजाक को यौन संचारित बिमारी माना जाता है, जोकि नीसेरिया गानोरिआ नाम के जीवाणु से फैलता है. अगर महिला या पुरुष का प्रजनन मार्ग गर्म या गिला हो तो ये बहुत तेजी से बढ़ता है, साथ ही इस रोग के संक्रमण मुहँ, आँख, गले और गुदा के मार्ग से अधिक तेजी से बढ़ते है.

सुजाक के अन्य नाम ( Other Names of Gonorrhea ) :
-    हिंदी रुक रुक कर पेशाब आना

-    अंग्रेजी गिनोरिया

-    अरबी कष्ट मूत्र

-    बंगाली मुत्रकृच्छ

-    गुजराती पेशाब मा बडतारा

-    कन्नड़ मूत्र कटू

Sujaak ya Mutrakrichchh Nivaran Upay
Sujaak ya Mutrakrichchh Nivaran Upay
सुजाक के प्रकार ( Types of Gonorrhea ) :
1.       वातज : इसमें पीड़ित व्यक्ति को अपने मूत्राशय और मूत्र इन्द्रियों में जलन और भारीपन महसूस होने लगता है साथ ही उनके पेशाब का रंग भी सफ़ेद हो जाता है.

2.       पित्तज : पित्तज के कारण सुजाक होने पर रोगी का मुत्र रुक रुक कर आने लगता है, कुछ लोगों के मूत्र की धार टेढ़ी भी हो जाती है.

3.       कफज : इसमें भी वातज की तरह मूत्र का रंग सफ़ेद हो जाता है और मूत्र त्याग में जलन होने लगती है.

4.       त्रिदोषज : जैसाकि इसके नाम से ही पता चलता है कि ये तीनों दोषों के कारण उत्पन्न होता है. इसमें लिंग लाल पड़ जाता है और मूत्र पीला, साथ ही पीड़ित को अपने लिंग में दर्द का अनुभव होता है.  

5.       अश्मरीजन्य : इसमें सीधा असर मुत्रेंद्रियों पर पड़ता है, जोकि काफी कष्टदायी होता है.

6.       मलावरोध जन्य : मलावरोध जन्य में रोगी के मल में गाँठे पड़ जाती है, जोकि मल त्याग के दौरान अड़ने लगती है और दर्द पैदा करती है.

7.       मुत्रघात : जबकि मुत्रघात में मूत्र इन्द्रियों को आघात पहुँचता है, मूत्र रुक जाता है और दर्द बनाता है, इसका असर मल पर भी पड़ता है जिसमें से बदबू आने लगती है.

8.       शुक्रक्षरणावरोध जन्य : इसमें मूत्र त्याग में बल लगाना पड़ता है और मुत्रोत्सर्ग के समय में अधिक कष्ट का अनुभव होता है.

सुजाक के कारण ( Causes of Gonorrhea ) :
·         प्रोस्टेट ग्लैंड में सुजन ( Swelling Prostate Gland ) : पुरुषों में सुजाक का मुख्य कारण प्रोस्टेट ग्लैंड में सुजन है, ये सुजन ही उनके मूत्र में अवरोध उत्पन्न करती है और सुजाक की स्थिति को पैदा करती है.

·         गर्भाशय में विकृति ( Problem in Uterus ) : वहीं महिलाओं के गर्भाशय में विकृति होने के कारण उन्हें मूत्रकृच्छ का सामना करना पड़ता है.

·         अधिक चाय कॉफ़ी ( Coffee and Tea ) : बच्चे भी इस रोग से ग्रस्त हो जाते है और उनके इस रोग से ग्रस्त होने का कारण अधिक चाय कॉफ़ी और शराब का सेवन है.

·         गर्मी ( Heat ) : गर्मियों के दिनों में गर्मी की वजह से सर्वाधिक लोग सुजाक का शिकार होते है. CLICK HERE TO KNOW शुक्राणुहीनता के कारण और उपचार ... 
सुजाक या मूत्रकृच्छ निवारण उपाय
सुजाक या मूत्रकृच्छ निवारण उपाय
·         शराब ( Alcohol ) : शराब के सेवन से कब्ज की स्थिति उत्पन्न होती है और ये कब्ज गुर्दों को प्रभावित करती है और सुजाक रोग व्यक्ति को अपना शिकार बनाता है.

·         अन्य कारण ( Other Causes ) : गर्म तासीर के पदार्थों व औषधियों का सेवन, अधिक मेहनत, समुद्री मछली का सेवन, पेशाब को रोके रखने के कारण, अधिक भोजन करने, ज्यादा घुड़सवारी और नाचने इत्यादि कारणों से भी मूत्रकृच्छ रोग होने की संभावना रहती है.

सुजाक के लक्षण ( Symptoms of Gonorrhea ) :
§  पेशाब में दर्द व जलन

§  बूंद बूंद करके पेशाब आना

§  पेशाब में खून

§  पेडू के नीचे, मूत्र नली में और जाँघों में दर्द

§  लिंग से सफ़ेद, हरा या पीला स्त्राव

§  अंडग्रंथि में दर्द

सुजाक मूत्रकृच्छ से छुटकारे के घरेलू आयुर्वेदिक उपाय ( Home Aayurvedic Remedies for Gonorrhea ) :
·         सोंठ ( Dry Ginger ) : आप सोंठ का चूर्ण तैयार कर लें और रोजाना दिन में 2 बार 3 ग्राम की मात्रा में मिश्री मिली हुई दही के साथ ग्रहण करें. ये उपाय पेशाब की जलन और रुकावट दोनों में लाभदायी होता है.

·         आँवला ( Amla ) : 10 10 ग्राम की मात्रा में गिलोय, आँवला, असगंध, सोंठ और गोखरू लें और इन्हें 400 मिलीलीटर पानी में डालकर काढा तैयार करें. इस काढ़े को दिन में 2 बार अवश्य पियें, जरुर लाभ मिलेगा.

·         धनिया ( Coriander ) : 25 ग्राम धनिया पाउडर लें और उसे 400 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें, अब इसे 4 5 घंटों के लिए छानकर रखे दें, फिर इसे रोगी को पीने के लिए दें. इसे रुका हुआ मूत्र मार्ग खुलता है जिसे रोगी को मूत्र त्याग में ज्यादा परेशानी नहीं होती.

·         गाजर ( Carrot ) : अगर पीड़ित को रोजाना 200 मिलीलीटर गाजर का रस पिलाया जाए तो भी उसे सुजाक रोग से मुक्ति मिलती है.

·         नारियल पानी ( Coconut Water ) : इसी तरह दिन में जितना अधिक हो सके नारियल पानी का सेवन करें, ये मूत्र मार्ग के सारे अवरोधों को दूर तो करता ही साथ ही मूत्र जलन में भी राहत दिलाता है.

·         छोटी इलायची ( Small Cardamom ) : 2 छोटी इलायचियों को पीसकर दूध में मिलाकर पीने से मूत्र की जलन, अवरोध दूर होती है और मूत्र खुलकर आता है.

·         शहतूत ( Mulberry ) : 10 मिलीलीटर शहतूत के पत्तों का रस लें और उसमें थोड़ी सी चीनी या शक्कर मिलाकर पी जाएँ. ये पेशाब की रुकावट और जलन दोनों को दूर करने में सहायक होता है.

·         ककड़ी ( Cucumber ) : 3 3 ग्राम की मात्रा में ककड़ी के बीज, मुलहेठी और दारुहल्दी लें और इन्हें पीसकर पाउडर तैयार करें. इस चूर्ण को दिन में 3 बार गुनगुने पानी के साथ लें, जल्द ही पेशाब की सारी रुकावटें दूर होती है.

·         अडूसा ( Malabar Nut ) : मूत्र संबधी किसी भी रोग से राहत दिलाने में अडूसा बहुत सहायक होता है, इससे लाभ पाने के लिए आप अडूसा खा भी सकते है और इसका 100 मिलीलीटर जूस भी पी सकते है, लाभ अवश्य मिलेगा.

·         छोटी काटेरी ( Small Kateri ) : पेशाब की रुकावट को दूर करने के ये आपको 10 ग्राम छोटी काटेरी को शहद के साथ दिन में 2 बार लेना है.

·         सूरजमुखी ( Sunflower’s Seeds ) : 10 ग्राम सूरजमुखी के बीज लें और उन्हें पीसकर एक समय की खुराक बनायें, इस खुराक को पानी के साथ खाना खाने के बाद लें. ये उपाय भी मूत्र रोगों में राहत दिलाने में सहायक होता है.
Tips to Cure Gonorrhea Strangury
Tips to Cure Gonorrhea Strangury
·         जीरा ( Cumin ) : 50 50 ग्राम जीरा और मिश्री लेकर बारीक पिसें, अब इन्हें किसी कपडे की मदद से छान लें और रोजाना दिन में 2 बार 5 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लें.

·         प्याज ( Onion ) : 45 ग्राम प्याज के टुकड़े लेकर उन्हें 1 लीटर पानी में उबालें, उबलने के बाद इनसे छानें और शहद के साथ मिलाकर इनका सेवन करें, इस उपाय को दिन में 3 बार अपनाने से शत प्रतिशत लाभ मिलता है.

·         दूध ( Cow Milk ) : गाय के दूध में पुराना गुड डालकर उबालें और फिर उसे पी जाएँ. गुड जितना पुराना होता है उसके गुण उतने ही अधिक बढ़ जाते है. इसलिए इसका प्रयोग मूत्र मार्ग को खोलने के लिए भी किया जाता है.

·         नीम्बू ( Lemon ) : आप निम्बू के बीजों को सुखाकर उसका पाउडर बना लें, फिर इस पाउडर को नाभि पर रखकर ऊपर से पानी डालें. जल्द ही मूत्राशय में अटकी हुई पथरी या रुकावट पिंघल जाती है और मुत्रावरोध दूर होता है.

·         चंदन ( Sandalwood ) : 5 बूंद चंदन का तेल, 7 बूंद बिरोजा का तेल मिलायें और इसे बताशें पर रखकर खा जाएँ. इसके ऊपर 1 ग्लास ताजा जूस पी जाएँ, शत प्रतिशत आराम लें.

·         फिटकरी ( Alum ) : 10 - 10 ग्राम फिटकरी, नौसादर, सोहागा, सज्जीखार और कमलीशोरा लें और इन्हें पीसकर इसका पाउडर तैयार करें, इस पाउडर की 3 ग्राम की मात्रा को दिन में 3 बार चीनी मिले पानी के साथ लें. इस उपाय के मात्र 3 4 दिनों के प्रयोग से ही मूत्रकृच्छ सुजाक में आराम मिलता है.

सुजाक में परहेज ( Avoiding  in Gonorrhea ) :
हर रोग से निजात पाने के लिए कुछ उपायों को अपनाना पड़ता है तो कुछ परहेजों का भी सख्ती से पालन करना पड़ता है. इनमे से कुछ निम्न है

-    खाने योग्य ( Edible ) : पुराने चावल, मट्ठा, सफ़ेद पेठा, जंगली पशु पक्षियों का मांस, परवल, खजूर, ताडफल का गुदा, गाय का दूध, मिश्री, कागजी नीम्बू, सुपारी, शरबत, शीतल जल, बैंगन, केले का फुल, रोटी, लस्सी, शीतल पानी और मीठे फल.

-    खाने के अयोग्य ( Unfit to Eat ) : तिल की गजक, भुने हुए खाद्य पदार्थ, सरसों का साग, सुखा भोजन, लाल मिर्च, टेंटी, उड़द की दाल, खट्टे पदार्थ, शराब इत्यादि का सेवन ना करें.

सुजाक या मूत्रकृच्छ के अन्य कारण लक्षण और उपचार के अन्य घरेलू आयुर्वेदिक उपायों के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते
सुजाक छुटकारे के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
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