पौरुष
गुप्त रोग अष्ठिला ( Ashthila )
पुरुषों
के मूत्र मार्ग में एक गोल नली होती है जिसे पौरुष ग्रंथि कहा जाता है. अगर ये नली
अपने सामान्य आकार से बढ़ जाएँ तो मूत्र त्याग में काफी परेशानियों पैदा होने लगती
है और इसी रोग को अष्ठिला रोग कहा जाता है. वैसे ये रोग वृद्ध लोगों में अधिक पाया
जाता है किन्तु बदलते खानपान के कारण युवा भी इसके शिकार होते जा रहे है.
अष्ठिला
रोग से मुक्ति के उपाय ( Tips to Remove Ashthila ) :
· कर्कटी ( Cucumis Utilissimus ) : त्रिफला, कर्कटी के
बीज और सेंधा नमक को बराबर मात्रा में लेकर एक मिश्रण तैयार करें और रोजाना इस
मिश्रण की 5 ग्राम की मात्रा को 100 ग्राम गुनगुने पानी के साथ दिन में दो बार
लें. CLICK HERE TO KNOW लिंग दोष दूर करने के प्रभावी उपचार ...
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Ashthila Lingodrek Ling ka Galnaa v Paurush Granthi mein Vriddhi ka Upchar |
कर्कटी
को दूसरी तरह इस्तेमाल करने के लिए आप इसके 25 ग्राम बीज लें और उन्हें 25
मिलीलीटर कांजी में भिगोयें, अब इसमें 4 ग्राम सेंधा नमक मिलाएं. इस
सारे मिश्रण की एक पुडिया बनायें और 1 – 1 पुडिया सुबह शाम
लें.
· कुष्माण्ड ( Kushmand ) : आपको एक मिश्रण तैयार करना
है जिसके लिए आपको 25 ग्राम शर्करा, 56 मिलीलीटर कुष्माण्ड के गुदे
का रस और 0.5 ग्राम यवक्षार की आवश्यकता होगी. इन तीनों चीजों के मिश्रण को रोजाना
सुबह शाम लें, जल्द ही आपको अष्ठिला में राहत मिलेगी.
लिंगोद्रेक
( Lingodrek ) :
कुछ
लोगों के लिंग में बिना इच्छा के ही या बिना कारण के ही उत्तेजना पैदा होने लगती
है, इस स्थिति
को लिंगोद्रेक रोग के नाम से जाता है. ये रोग जन्मजात भी हो सकता है और इसका कारण
मूत्र मार्ग में संक्रमण भी हो सकता है. साथ ही अगर इसका इलाज तुरंत ना किया जाये
तो ये अन्य गुप्त रोगों का कारण भी बन सकता है.
लिंगोद्रेक
रोग से निजात के घरेलू उपाय ( Home Remedies to Cure
Lingodrek ) :
· कपूर ( Camphor ) : रोजाना ¼ ग्राम कपूर का सेवन करने से
लिंग की बेवजह उत्तेजित होने की आदत से छुटकारा मिलता है.
· बर्फ ( Ice ) : अगर आपका लिंग बार बार
उत्तेजित या खडा हो रहा है तो आप उसे बर्फ के टुकड़ों से ढक दें और कुछ देर वैसे ही
रहने दें, इस तरह उसकी उत्तेजना जल्द ही शांत हो जाती है. CLICK HERE TO KNOW शुक्राणुहीनता के कारण और उपचार ...
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अष्ठिला लिंगोद्रेक लिंग का गलना व पौरुष ग्रंथि में वृद्धि का उपचार |
· जटामांसी ( Spikenard ) : 10 – 10 ग्राम
दालचीनी, शीतल चीनी और सौंफ लें, साथ
ही आप इसमें 40 ग्राम जटामांसी और 80 ग्राम मिश्री भी मिलाएं. इनके मिश्रण को
बारीक पिसें और 5 ग्राम की मात्रा में प्रातःकाल और सायंकाल में पानी के साथ लें.
· सुहागा ( Borax ) : हर समय तने रहने वाले लिंग
की उत्तेजना को खत्म करने के लिए पीड़ित को दिन में 2 बार सुहागे की खील का सेवन
करना है.
· चन्दन ( Sandalwood ) : लिंगोद्रेक रोग से मुक्ति
पाने के लिए चन्दन के तेल की 4 बूंदों को बताशें में डालें और उसे पानी के साथ दिन
में 2 बार खायें.
· राई ( Rye ) : 200 ग्राम पानी में 20 ग्राम
राई डालकर 3 घंटों के लिए भीगने के लिए छोड़ दें. उसके बाद इस पानी से लिंग को साफ़
करें और ध्यान रहें कि इस पानी से लिंग के आगे वाले हिस्से को ना धोएं.
· दशमुला ( Dashmulaa ) : दिन में हर 6 घंटे के बाद
100 ग्राम दशमुला का रस पीने से भी लिंगोद्रेक रोग से छुटकारा मिलता है.
पौरुष
ग्रंथि में सुजन ( Inflammation of Prostate Gland ) :
अगर
पौरुष ग्रंथि में सुजन आ जाएँ तो इससे मूत्राशय पूर्ण रूप से खाली नहीं हो पाता
जिस कारण पीड़ित को बार बार मूत्र त्याग के लिए जाना पड़ता है. रोगी की हालत ऐसी हो
जाती है कि उसे मूत्र त्याग के बाद भी ऐसा लगता है कि उसे अभी और पेशाब करना है.
धीरे धीरे उसे इस ग्रंथि में जलन का आभास व दर्द की अनुभूति होने लगती है.
पौरुष
ग्रंथि में सुजन का उपचार ( Effective Treatment for the
Inflammation of Prostate Gland ) :
· सिनुआर ( Sinuaar ) : पौरुष ग्रथि की सुजन खत्म
करने के लिए आप सिनुआर को 2 तरह से इस्तेमाल कर सकते है पहला तो आप इसके पत्तों का
20 ग्राम रस निकालकर सुबह शाम पियें और दुसरे उपाय में आपको धतूरे, करंज,
नीम और सिनुआर के पत्तों को एक साथ मिलाकर पिसना है और एक पेस्ट
तैयार करके हांडी में गर्म करना है. उस पेस्ट को मूत्राशय पर लगाने से सुजन में
आराम मिलेगा.
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अष्ठिला रोग से मुक्ति के अचूक उपाय |
· गोरखमुंडी ( Gorakhmundi ) : आपको गोरखमुंडी के पत्ते, फल, तने, जड़ और फुल से 20 मिलीलीटर रस निकालना है और
उसका सेवन करना है. ये सभी मूत्र विकारों से निजात दिलाने में सहायक होता है.
· गुग्गल ( Benzoin ) : प्रातःकाल 1 ग्राम गुग्गल का
सेवन गुड के साथ करने से भी पौरुष ग्रंथि की सुजन कम होती है और मूत्र मार्ग खुलता
है. ये उपाय मूत्र की जलन को दूर करने में भी सहायक सिद्ध होता है.
· मनियारा ( Maniyara ) : ठीक इसी तरह 5 ग्राम मनियारा
की जड़ का चूर्ण दिन में 2 बार पानी के साथ खाने से भी सुजन में आराम मिलता है.
· राई ( Rye ) : आप थोड़ी सी राई को पीस लें
और पानी के साथ उसका लेप बनायें, अब इस लेप को नाभि के थोडा नीचे पेडू पर
लगाएं और सूखने दें. ये उपाय भी पौरुष ग्रंथि की सुजन को दूर करने में सहायक सिद्ध
होता है.
लिंग
का गलना ( Thaw of Penis ) :
· कमीला ( Kmila) : सबसे पहले आप 50 ग्राम सरसों
के तेल को आग पर पकने के लिए रखें और उसमें 10 ग्राम कमीला पीसकर डालें. जब तेल
अच्छी तरह पाक जायें तो उसे उतारकर ठंडा होने के लिए रख दें. अब इस तेल से लिंग की
मालिश करें, ये लिंग के गलने को तो रोकता ही है साथ ही इसके प्रभाव से आपका लिंग हष्ट
पुष्ट और स्वस्थ रहता है.
अष्ठिला, लिंगोद्रेक,
लिंग के गलने या पौरुष ग्रंथि की सुजन को दूर करने के अन्य उपाय
तरीकों को जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
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Lingodrek ka Ghrelu Ilaaj |
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ReplyDeletePesaab me jalan hota२०saal se dhaar girtahai
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