Ang Bhransh Ke Karan Lakshan or Upchar | अंग भ्रंश के कारण लक्षण और उपचार | Causes Symptoms and Treatment of Uterine Prolapsed

अंग भ्रंश ( Uterine Prolapsed )
वो अवस्था जब किसी महिला की योनि में अंडाशय, मूत्राशय, मलाशय और जननेंद्रिय अंग गिर जाते है तो उसे अंग भ्रंश कहा जाता है. इसे योनि या गर्भाशय भ्रंश के नाम से भी जाना जाता है, दरअसल होता ये है कि योनि मार्ग से योनि बाहर आ जाती है. विभिन्न भाषाओं में इसे भिन्न भिन्न ना से जाना जाता है जैसेकि हिंदी में योनि भ्रंश, बंगाली में जोनि भ्रंश, गुजरात में योनि ब्रंश, मलयालम में भ्रंशम्, उड़ीसा में पेंड बटार पड़िया और अंग्रेजी में इसे प्रोलैप्स ऑफ़ दी यूटरस कहते है.

अंग भ्रंश के कारण ( Causes of  Uterine Prolapsed ) :
·         कमजोर जननेन्द्रियाँ ( Weak Reproductive Organs ) : अंग भ्रंश का सबसे पहला कारण जननेन्द्रियों की मांसपेशियों का कमजोर हो जाना होता है. CLICK HERE TO KNOW योनि खुजली व योनि दाह ... 
Ang Bhransh Ke Karan Lakshan or Upcahr
Ang Bhransh Ke Karan Lakshan or Upchar
·         बच्चे का जन्म ( Giving Birth ) : अब बात ये है कि जननेंद्रियाँ कमजोर क्यों हो जाती है और उसकी पहली वजह है बार बच्चों को जन्म देना.

·         बुढापा ( Old Age ) : बुढापे के कारण भी जननेंद्रियाँ कमजोर हो जाती है.

·         फ्राइब्रायड ( Friarbird ) : अगर महिला को फ्राइब्रायड है तो इससे उनके मूत्राशय में थक्के आ जाते है और ये अंग भ्रंश का कारण बनते है.

·         मोटापा ( Obesity ) : मोटापा भी अंग भ्रंश की एक अहम वजह बनता है क्योकि मोटापे में योनि के आसपास की दीवारों के पास अतिरिक्त चर्बी जम जाती है.

·         रीढ़ की हड्डी में घाव ( Wound in Backbone ) : कई मामलों में देखा गया है कि जिन महिलाओं की रीढ़ की हड्डी में घाव या कोई अन्य समस्या होती है उनको भी अंग भ्रंश की समस्या हो जाती है. 

अंग भ्रंश के सामान्य लक्षण ( Symptoms of Uterine Prolapsed ) :
·         जननेन्द्रियों में भारीपन ( Heaviness in Reproductive Organs ) : पीड़ित महिलाओं को ऐसा आभास होने लगता है कि जैसे उनकी जननेंद्रियों के आसपास कुछ उग गया हो और इसी वजह से उन्हें अपनी जननेंद्रियाँ भारी प्रतीत होने लगती है.

·         पीठ में दर्द ( Back Pain ) : अंग भ्रंश से ग्रस्त महिलाओं की पीठ के नीचे हिस्से में दर्द रहता है, अगर वे लेटी रहे तो उन्हें आराम का अनुभव होता है किन्तु खड़े होते ही फिर दर्द आरम्भ हो जाता है.

·         पेट में दर्द ( Stomach Pain ) : ठीक कमर की ही तरह उनके पेट के निचले हिस्से में भी दर्द व दबाव रहने लगता है.

·         सम्भोग में दर्द ( Problem in Sexual Activities ) : ऐसी महिलायें जब सम्भोग करती है तो उन्हें अधिक दर्द का आभास होता है कुछ तो दर्द के कारण बेहोश तक हो जाती है.

·         बहता मूत्र ( Unable to Control Urine ) : ये रोग उनकी किडनी को प्रभावित कर देता है और स्त्री अपने मूत्र को रोकने में असमर्थ महसूस करती है. CLICK HERE TO KNOW अनुर्वरकता के कारण लक्षण और उपचार ... 
अंग भ्रंश के कारण लक्षण और उपचार
अंग भ्रंश के कारण लक्षण और उपचार
अंग भ्रंश रोग के लिए उपचार ( Treatment for Uterine Prolapsed ) :
§  व्यायाम ( Exercise ) : रोजाना व्यायाम, सैर और आसन करने से आपको लाभ मिलता है, ध्यान ऐसा रहें कि आपको जननेंद्रिय योनि का व्यायाम अधिक करना है ताकि सभी जननेन्द्रिय अंग अपने स्थान पर रहें.

§  पेसरी डलवाना ( Pour Pessary ) : अनेक ऐसी महिलायें है जो योनि में गिरे हुए अंगों को उनके स्थान पर वापस लाने के लिए अपनी जननेन्द्रिय योनि में पेसरी डलवा लेती है.

§  शल्य क्रिया ( Surgeries ) : और कुछ महिलाओं की स्थिति तो इतनी अधिक बिगड़ जाती है कि उन्हें शल्य क्रियाओं के बाद ही आराम प्राप्त हो पाता है.

§  जायफल ( Nutmeg ) : कुछ आयुर्वेदिक उपचारों के अनुसार सबसे पहले जायफल को पिसें और पानी में डालकर काढा तैयार करें. जब ये ठंडा हो जाए तो एक रुई का फोहा लें और इसे काढ़े में डुबोकर योनि में रखें, ये उपाय जल्द ही योनि भ्रंश की समस्या से निजात दिलाता है.

§  छुई मुई ( Mimosa Plant ) : छुई मुई के बारे में तो आपने जरुर सूना ही होगा. आप इसके पत्तों या जड़ को पानी के साथ घिसकर एक लेप तैयार करें, अब इस लेप को उस स्थान पर लगाएं जहाँ गर्भाशय बाहर निकला हुआ है. साथ ही आप ऊपर से पट्टी भी बांध लें और रोगी को आराम करने के लिए लिटा दें. कुछ दिनों तक रोजाना इस उपाय को नियमित रूप से अपनाने से गर्भशय वापस अपने स्थान पर चला जाता है और पीड़ित महिला को आराम मिलता है.

अंग या गर्भशय भ्रंश के अन्य कारण, लक्षण और उपचार के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
Causes Symptoms and Treatment of Uterine Prolapsed
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