Prem or Sex Hai Virodhi | प्रेम और सेक्स है विरोधी | Love and Sex are Enemies

प्यार और सेक्स में विरोध ( Love and Sex are Opponents )
अधिक लोग प्यार और सेक्स को एक दुसरे का पूरक मानते है किन्तु आपको बता दें कि जितना अधिक आप प्रेम में जाते है उतना ही अधिक आपका सेक्स कम होता जाता है और जितना आप प्यार से बचे रहते हो उतना ही अधिक सेक्स का विकास होता है. हो सकता है कि आपको हमारी बातें थोड़ी अटपटी लग रही होगी किन्तु आप खुद इन बातों को अनुभव कर सकते हो. CLICK HERE TO KNOW सेक्स लाइफ को बूस्ट अप करें ... 
Prem or Sex Hai Virodhi
Prem or Sex Hai Virodhi
कैसे संभव है इनमें विरोध ( How they Become Enemies Opponents ) :
आपने देखा होगी कि जो व्यक्ति किसी लड़की से सच्चा प्रेम करता है तो वो बस उसके पास रहना अधिक पसंद करता है नाकि उसकी तन की सुन्दरता को देखकर अपनी काम वासना को बढाता है, इस तरह उसका सेक्स धीरे धीरे कम होने लगता है. वहीँ अगर कोई लड़का सिर्फ लड़की के तन को देखकर बिना प्रेम के लड़की के साथ रहता है तो यकीन मानियें उसके दिमाग में हमेशा सिर्फ सेक्स ही घुमाता रहता है, ऐसे लड़के एक मौके की तलाश में रहते है और मौका मिलते ही अपनी काम वासना को शांत करने में लग जाते है. इसीलिए कहा भी जाता है कि जहाँ प्रेम है वहां सेक्स का की काम नहीं लेकिन जहाँ सेक्स है वहां प्रेम नहीं हो सकता. इसका अगर सच्चा उदहारण देना हो तो आप भगवान श्री कृष्ण और गोपियों के प्रेम को देख सकते हो.

सेक्स को दबाने से हो सकते है पागल ( You May be Mental If You Try to Dominate Sex by Pressure ) :
कुछ लोग तो सेक्स में सनकी हो जाते है तो कुछ ऐसे भी है जो इस आदत से पीछा छुडाने की कोशिश करते है. लेकिन सेक्स को दबाना इसका हल नहीं है क्योकि किसी भी चीज को जब दबाया जाता है तो वो दुगने वेग से फिर ऊपर उठ खडा होता है और ये पागलपन का कारण भी बन सकता है. वहीँ अगर कोई अपने सेक्स को जबरदस्ती दबा भी लेता है तो वो विक्षिप्त हो जाते है या उन्हें अन्य बीमारियाँ हो जाती है, खासतौर से मानसिक रोग उनका पीछा नहीं छोड़ते. कहने का सीधा सा तात्पर्य ये है कि अगर आप सेक्स को दबाने की कोशिश करते हो तो वो आपको पागल भी कर सकता है. CLICK HERE TO KNOW सेक्स को सनक बनने से रोकें ... 
प्रेम और सेक्स है विरोधी
प्रेम और सेक्स है विरोधी
सेक्स को प्रकाश में बदलें ( Change Sex into Light of Love ) :
जहाँ सेक्स को दबाया नहीं जा सकता वहां उसकी शक्ति को प्रेम के प्रकाश में बदला जा सकता है. जी हाँ, अनेक ऐसे योगी है जो योग साधना के बल पर अपने सेक्स की शक्ति को उधर्वामुखी कर लेते है जिससे वो शक्ति प्रेम के प्रकाश में बदल जाती है. इस प्रेम को ही सेक्स का क्रिएटिव उपयोग माना जाता है.

प्रेम चाहना और प्रेम करना ( Difference Between Wishing Love or Doing Love ) :
संसार के हर व्यक्ति की चाह होती है कि उसे प्रेम मिले. देखो जब एक शिशु जन्म लेता है तो उसके माता पिता उसे प्रेम देते है, जैसे ही वो थोडा बड़ा होता है उसकी इच्छा होती है कि लोग उसे प्रेम करें और उसके परिवारजन उसको प्रेम करते है, वो थोडा और बड़ा होता है अगर लड़का हुआ तो चाहेगा कि उसकी पत्नी सिर्फ उसको प्रेम करें वहीँ लड़की हुई तो वो चाहेगी की उसका पति सिर्फ उसे ही प्रेम करें. इसी तरह हम सारी जिन्दगी प्रेम मांगते रहते है जबकि प्रेम माना नहीं जाता बल्कि किया जाता है. अब एक दम्पति को ही ले लों जहाँ दोनों ये चाहते है कि उसका साथी उससे प्रेम करें तो वो एक ऐसी स्थिति बन जायेगी जहाँ दो भिखारी है और एक दुसरे से कुछ मांग रहें है. इसीलिए प्रेम की चाह रखने वाले सदा दुखी रहते है जबकि सभी से प्रेम करने वाले सदा खुश रहते है.
Love and Sex are Enemies
Love and Sex are Enemies
प्रेम की चाह से जुडी है आकांक्षा ( Wishing Love Increases Desires ) :
प्रेम की चाह के बारे में एक बात ये भी कहीं जाती है कि जो लोग प्रेम की चाह रखते है वे बच्चे होते है जबकि जो लोग प्रेम करने के बारे में विचार करते है वे व्यस्क और समझदार होते है. आप इन दोनों में से क्या है इसका जवाब आपको आपका मन आसानी से दे देगा. प्रेम को चाह के उदाहरण को आप मछली पकड़ने वालों से भी पा सकते है क्योकि वे मछिलियों को आटा इसलिए नहीं फेंक रहें क्योकि वे मछिलियों से प्रेम करते है बल्कि वे मछली को अपने जाल में फंसाना चाहते है इसलिए वे आटा फेंक रहें है और यही हमारे साथ है हमारे प्रेम की चाह के साथ साथ आकांक्षाएं भी जुडी होती है जो हमे ऐसा करें पर मजबूर करती है.

नर्क बना दांपत्य जीवन ( Married Life into Hell ) :
आज दाम्पत्य जीवन का हाल सभी को पता है, आये दिन दम्पति में झगडे होते रहते है. इन सभी झगड़ों की बुनियाद भी यही चाह ही है. ये सिर्फ एक समाज या विवाह के प्रकार की बात नहीं है बल्कि आप इस चीज को किसी भी समाज में देख सकते हो चाहें उन्होंने प्रेम विवाह किया हो या माता पिता के कहने पर. ये स्थिति तभी सुधर सकती है जब दम्पति अपने साथी से प्रेम करना आरम्भ कर दें. जैसे ही उनकी सोच परिवर्तित होगी वैसे ही उनके रिश्ते की स्थिति और दशा भी परिवर्तित होने लगेगी.
Dampatya Jivan mein Ho Prem Naaki Sex
Dampatya Jivan mein Ho Prem Naaki Sex
प्रेम एक प्रसाद ( Love is Like an Offering ) :
आपको प्रेम को एक प्रसाद के रूप में देखना चाहियें जिसे हमेशा दिया जाता है, इसका कोई मूल्य नहीं. इससे देने वाला भी खुश रहता है और पाने वाला भी. जीवन स्वर्ग तभी होता है जब पति पत्नी के बीच में प्रेम हो. ये उनके संसार को एक अदभुत चमक देता है, लेकिन प्रेम के इजाफे के साथ साथ उनमें सेक्स की चाह विलीन भी होती रहती है और उनका प्रेम शारीरिक ना रहकर आत्मिक हो जाता है. वहीँ जब तक सेक्स है तब तक शोषण है क्योकि सेक्स की चाह रखने वाला प्रेम को समझ ही नहीं सकता.

सेक्स है मनुष्य जीवन का केंद्र ( Sex is the Centre of Human Life ) :
वैसे सेक्स इस धरती की सबसे बड़ी ताकत भी मानी जाती है क्योकि नब्बे प्रतिशत लोगों का जीवन इसी शक्ति के चारों तरफ घूमता है. जबकि बाकी के 10 प्रतिशत लोगों का जीवन परमात्मा की परिधि के अंतर्गत रहता है. अगर इस सेक्स की शक्ति को प्रेम की शक्ति में बदल दिया जाएँ तो ये परमात्मा की शक्ति बन सकती है और हमारा उनसे मिलाना भी करा शक्ति है.

सेक्स व प्रेम के विरोधाभास को समझने और सेक्स की शक्ति को प्रेम की शक्ति में बदलने के बारे में अधिक जानने के लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो. 
Pyar ki Chaah Deti Hai Dukh
Pyar ki Chaah Deti Hai Dukh
Prem or Sex Hai Virodhi, प्रेम और सेक्स है विरोधी, Love and Sex are Enemies, प्यार का विकसित होना मतलब सेक्स का कम होना, Sex ek Shoshan, Dampatya Jivan mein Ho Prem Naaki Sex, Prem Ek Prasaad, Pyar ki Chaah Deti Hai Dukh, Prem Chahna or Prem Karnaa, Sex ko Pyar Ki Roshni mein Badlen

1 comment:

loading...