वृद्धावस्था
और सेक्स ( Old Age and Sex )
ये
सत्य है कि जब तक मनुष्य जीवित रहता है तब तक वो सेक्स की इच्छा रखता है. लेकिन
सेक्स का सही समय युवावस्था से प्रौढावस्था तक को ही माना गया है क्योकि युवावस्था
ही वो अवस्था है जब व्यक्ति का झुकाव सेक्स व काम वासना की तरह होता है जबकि
प्रौढावस्था में इसका ढलान तो बुढापे में ये समाप्त ही हो जाता है. सभी को एक ना
एक दिन बुढा अवश्य होना है किन्तु हर वृद्ध इंसान यहीं कहता है कि “ अभी हो मै
जवान हूँ ”. जब भी वे ऐसा कहते है तभी उनके मन में सेक्स के
बारे में ही चिंतन होता है क्योकि आजकल सेक्स को ही उम्र नापने का मीटर समझा जाता
है और यही कारण है कि वृद्धावस्था को अब राम नाम जपने की उम्र माना जाता है. CLICK HERE TO KNOW प्रेम और सेक्स है विरोधी ...
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Vriddhavasthaa or Sex |
उपरलिखित
सभी विचार विमर्श का एक ही अर्थ निकलता है कि बुढापे में कामवासना उचित नहीं है
क्योकि उस समय तक व्यक्ति का मन बेशक दृढ और जवान हो किन्तु उसका शरीर ढल जाता है
और शिथिल हो जाता है और यही कारण है कि वृद्धावस्था के आते आते व्यक्ति को सेक्स
शक्ति व वीर्य को बढाने की दवाओं की आवश्यकता पड़ जाती है. इस उम्र में उन्हें
शारीरिक सुख की नहीं बल्कि मानसिक सुख के बारे में अधिक विचार करना चाहियें और ये
सुख उसे ईश्वर के नाम का ध्यान और अपने पारिवार की ख़ुशी से मिलता है.
उम्र
का असर कार्यक्षमता पर सीधे रूप से पड़ता है क्योकि जैसे जैसे उम्र ज्यादा होती चली
जाती है शरीर के अनेक अंग काम करने की शक्ति खोते जाते है. ये बात शारीरिक संबंधों
को बनाने पर भी आधारित है. अगर कोई ऐसा व्यक्ति है जो वृद्धावस्था में ये सोचकर
जवान लडकी शादी करता है कि वो दवाओं का सेवन करता करता अपनी साथी को खुश और
संतुष्ट कर सकता है तो ये उसकी भूल है. क्योकि काम शक्ति में वृद्धि या कमी सब
प्रकृति पर निर्भर होती है, जिसके अनुसार बुढापे में ये शक्ति खत्म हो जाती है और इसे दोबारा पाना भी
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वृद्धावस्था और सेक्स |
इसके
बावजूद भी अगर कोई बुढापे में शादी कर लेता है तो उसके जो नतीजे सामने आते है वे
भयंकर होते है. क्योकि जब ऐसे वृद्ध अपनी साथी के साथ सम्भोग क्रिया आरम्भ करते है
तो उनकी साथी जो जवान है वो अपने पुरे जोश में आ जाती है जबकि बुढा जिसमें शक्ति
ही नाम मात्र बची होती है वो जल्दी से स्खलन करके सो जाता है लेकिन उसकी साथी सारी
रात अतृप्त अवस्था में पड़ी रहती है. ये स्त्री के मन पर बहुत बुरा प्रभाव छोड़ता
है. ये स्थिति जब कुछ दिनों तक लगातार चलती रहती है तब तक तो लड़की के शरीर की आग
बहुत बढ़ चुकी होती है और उसे शांत करने के लिए उसे दुसरे पुरुष की आवश्यकता लेनी
होती है जिसके लिए उसे गलत रास्ते पर चलकर लड़कों को फंसाना पड़ता है. हालांकि इसमें
उसकी कोई गलती नहीं होती फिर भी जब उसके पति को इस बारे में बता चलता है तो वो
उसको ही घर से निकाल देता है या ये स्थिति इससे भी अधिक घातक परिणाम देती है.
अगर
सही तरह से सोचें तो वृद्धावस्था किसी भी मनष्य के लिए आदर्श अवस्था होती है, क्योकि इस
उम्र में उसे संसार के अनेक अनुभवों को जिया होता है, जिसका
इस्तेमाल करते हुए वो अपने घर को सुख समृद्धि से भर सकता है और उनकी ख़ुशी में अपनी
ख़ुशी खोज सकता है.
वृद्धावस्था
में सेक्स और शारीरिक सम्बन्धों के अन्य घातक परिणामों के बारे में अधिक जानने के
लिए आप तुरंत नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो.
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Old Age and Sex |
Vriddhavasthaa
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Old Age and Sex, बुढापे
में सम्भोग के घातक परिणाम,
Sex Sahvaas ki Shi Umar, Vriddh or Javan ki Shaadi ka Prinaam, Praudhavastha
mein Sharirik Sambandhon ke Natije, Abhi to Mai Javaan Hun